क्या उम्रकैद की सजा 14 साल की होती है?

Apr 03, 2023
Source: https://hindi.livelaw.in/

Episode 2- पिछले एपिसोड में हमने भारत में कितनी तरह की जेलें हैं? उस पर बात की थी। इस एपिसोड में हम उम्रकैद की सजा पर बात करेंगे। आम तौर पर लोगों के बीच ये धारणा है कि उम्रकैद की सजा 14 साल की होती है। यानी 14 साल के बाद आरोपी जेल से छूट जाएगा। उनमें से एक ये भी है कि जेल में दिन और रात अलग-अलग गिने जाते हैं. किसी आरोपी का जुर्म तय हो जाने के बाद कोर्ट उसके गुनाहों के आधार पर सजा देता है। गुनाह जितना बड़ा होगा सजा उतनी ज्यादा होगी। इसमें कुछ साल की जेल, फांसी, उम्रकैद जैसी सजा आते हैं। फांसी की सजा को लेकर कोई कन्फ्यूजन नहीं होना चाहिए। फांसी यानी सीधे मौत। अब आपकी कन्फ्यूजन पर आते हैं। बॉलीवुड की फिल्में। इसमें दिखाया जाता है कि कत्ल के आरोप में उम्रकैद मिली और 14 साल बाद रिहाई हो गई। फिर उम्रकैद की सजा का मतलब ही क्या है जब दोषी 14 साल में ही जेल से छूट जाता है। सबसे पहले ये जानकारी दुरुस्त कर लीजिए कि 14 साल या 20 साल जैसा कोई नियम नहीं है। उम्रकैद का मतलब आजीवन कारावास ही होता है। उम्रकैद की सजा यानी एक अपराधी को पूरी जिंदगी जेल में ही रहना होता है। जिंदगी की अंतिम सांस तक। फिर उम्रकैद की सजा पाए व्यक्ति 14 या 20 साल की जेल के बाद कैसे रिहा हो जाते हैं, इसके पीछे की क्या वजह है? सीधे-सीधे प्वाइंट पर आते हैं। कानून में कहीं नहीं लिखा है कि उम्रकैद की सजा 14 साल की होती है। सुप्रीम कोर्ट ने 2012 के अपने जजमेंट में स्पष्ट कहा कि आजीवन कारावास का मतलब जीवनभर के लिए जेल है और इससे ज्यादा कुछ नहीं। कोर्ट ने इसकी और अधिक व्याख्या करने से इनकार करते हुए कहा कि उम्रकैद का मतलब ताउम्र जेल। दरअसल, कोर्ट का काम सजा सुनाना है और इसको एक्जीक्यूट करने का काम राज्य सरकार के हाथ में होता है। राज्य सरकार को ये अधिकार दिया गया है कि उम्रकैद के आरोपी को 14 साल में रिहा करे, 20 साल में या मौत होने तक जेल में रखे। उम्रकैद की सजा पाए कैदी को कम से कम चौदह साल जेल में बिताने ही है। प्रोविजन के अनुसार जब अपराधी 14 साल की सजा काट लेता है तो उसके व्यवहार के आधार पर उसके केस को सेंटेंस रिव्यू कमिटी के पास भेजा जाता है। कैदी के व्यवहार को देखते हुए राज्य सजा में कमी कर सकते हैं। हालांकि कई ऐसे केस होते हैं, जिनमें सजा कम नहीं हो पाती है। कानून में ये कहीं नहीं लिखा है कि जेल की सजा में दिन और रात को अलग अलग गिना जाता है। ये सब भ्रांतियां हैं. इससे दूर रहें। जेल में एक दिन का मतलब 24 घंटे ही होता है।

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