सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका के खिलाफ टिप्पणी को लेकर कानून मंत्री और उपराष्ट्रपति के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली जनहित याचिका खारिज की

May 16, 2023
Source: https://hindi.livelaw.in/

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी, जिसमें हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई, जिसमें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और कानून मंत्री किरेन रिजिजू के खिलाफ जनहित याचिका को खारिज कर दिया गया था। उक्त याचिका में उल्लेख किया गया कि कानून मंत्री और उपराष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट और जजों की नियुक्ति के लिए बनाए गए कॉलेजियम सिस्टम द्वारा विकसित बुनियादी ढांचे के सिद्धांत के बारे में सार्वजनिक रूप से टिप्पणी की गई। सुप्रीम कोर्ट ने उक्त याचिका खारिज करते हुए कहा, "हम मानते हैं कि हाईकोर्ट का दृष्टिकोण सही है।" जस्टिस एसके कौल और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ ने याचिका खारिज करते हुए आदेश में दर्ज किया, "यदि किसी प्राधिकरण ने अनुचित बयान दिया तो यह टिप्पणी कि सुप्रीम कोर्ट उससे निपटने के लिए पर्याप्त व्यापक है, सही दृष्टिकोण है।" खंडपीठ ने यहां बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा की गई टिप्पणी का उल्लेख कर रही थी, जिसमें उसने कहा था, "भारत के माननीय सुप्रीम कोर्ट की विश्वसनीयता आसमान छूती है। इसे व्यक्तियों के बयानों से मिटाया या प्रभावित नहीं किया जा सकता।” विशेष अनुमति याचिका में कहा गया कि दो लोक पदाधिकारियों ने संविधान में "विश्वास की कमी" दिखाते हुए अपनी संस्था यानी सुप्रीम कोर्ट पर हमला करके और इसके द्वारा निर्धारित कानून के लिए अल्प सम्मान दिखाते हुए संवैधानिक पद पर बैठने के लिए खुद को अयोग्य घोषित कर लिया। एसोसिएशन ने दावा किया कि उपराष्ट्रपति और कानून मंत्री ने कानून के अनुसार यथास्थिति को बदलने के लिए संवैधानिक योजना के तहत उपलब्ध किसी भी सहारा के बिना सबसे अपमानजनक भाषा में शीर्ष न्यायिक संस्थान पर "हमला" किया। याचिका में तर्क दिया कि संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्तियों द्वारा किया गया अशोभनीय व्यवहार बड़े पैमाने पर जनता की नज़र में सुप्रीम कोर्ट की महिमा को कम कर रहा है और असंतोष को उत्तेजित कर रहा है, एसोसिएशन का दावा है कि उन्होंने "आपराधिक अवमानना" की है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने इससे पहले याचिका खारिज करते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की विश्वसनीयता "आसमान की छूती" है और इसे किन्हीं व्यक्तियों के बयानों से कम नहीं किया जा सकता। इसने यह भी कहा था कि "निष्पक्ष आलोचना" की अनुमति है और एसोसिएशन द्वारा सुझाए गए तरीके से उपराष्ट्रपति और कानून मंत्री को हटाया नहीं जा सकता।

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